एक दृष्टि दृष्टि के ऊपर: विश्व नेत्रदान दिवस पर भारत में (महिलाओंके) अंधत्व और नेत्रदान का विश्लेषण

Drishti    13-Jun-2025
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हर साल, विश्व नेत्रदान दिवस (World Eye Donation Day) हमें दृष्टिहीनता के प्रति जागरूकता फैलाने और नेत्रदान के महत्व पर जोर देने का अवसर देता है। यह दिन उन लाखों लोगों के लिए आशा का प्रतीक है जो कॉर्नियल अंधत्व के कारण दुनिया को देख नहीं पाते। भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में, जहाँ अंधत्व एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है, नेत्रदान की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। आइए, भारत में अंधत्व की वर्तमान स्थिति, नेत्रदान की आवश्यकता और इसमें मौजूद लैंगिक असमानता पर एक विश्लेषणात्मक दृष्टि डालें।
भारत में अंधत्व की अद्यतन स्थिति (2025 तक):
 
भारत में अंधत्व के मामलों में गिरावट देखी जा रही है, जो सराहनीय है।
2019 तक, भारत में कुल अंधत्व का प्रसार 0.36% था। The Times of India
हालाँकि, कुछ प्रमुख कारण अभी भी चिंता का विषय बने हुए हैं:
  • मोतियाबिंद (Cataract): 66.2%
  • दृष्टिदोष (Refractive Errors): 18.6% 
  • ग्लूकोमा (Glaucoma): 6.7% 
  • डायबिटिक रेटिनोपैथी (Diabetic Retinopathy): 3.3%
 
कॉर्नियल अंधत्व (Corneal Blindness): 0.9% Kashmir Observer
 
विशेष रूप से, कॉर्नियल अंधत्व एक गंभीर चुनौती है। भारत में लगभग 1.25 मिलियन (12.5 लाख) लोग कॉर्नियल अंधत्व से प्रभावित हैं। The Times of India
 
नेत्रदान की आवश्यकता और वर्तमान परिदृश्य:
 
कॉर्नियल अंधत्व का एकमात्र प्रभावी उपचार कॉर्नियल प्रत्यारोपण (Corneal Transplant) है, जिसके लिए नेत्रदान आवश्यक है।
भारत में नेत्रदान का वार्षिक प्रमाण लगभग 30,000 से 35,000 है। यह संख्या आवश्यकता की तुलना में बहुत कम है। The Times of India
 
प्रत्येक वर्ष लगभग 25,000 से 30,000 नए कॉर्नियल अंधत्व के रोगी सामने आते हैं, जिससे नेत्रदान की आवश्यकता निरंतर बढ़ती जा रही है।
 
निष्कर्ष: यह स्पष्ट है कि भारत में अंधत्व का कुल प्रतिशत कम हो रहा है, जो अच्छी खबर है। हालाँकि, नेत्रदान के पर्याप्त न होने के कारण लाखों लोग अभी भी दृष्टि की प्रतीक्षा में हैं। कॉर्नियल अंधत्व से पीड़ित लोगों को नया जीवन देने के लिए नेत्रदान के बारे में व्यापक जागरूकता और प्रोत्साहन अत्यंत आवश्यक है।
 
अंधत्व और नेत्रदान में लैंगिक असमानता: एक गहरी पड़ताल
 
अंधत्व केवल एक चिकित्सा समस्या नहीं है; यह सामाजिक और लैंगिक असमानताओं को भी दर्शाता है। भारत में, अंधत्व और नेत्रदान दोनों में लैंगिक अंतर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
अंधत्व में लिंगानुसार अंतर (50 वर्ष और अधिक आयु वर्ग): आँकड़े बताते हैं कि महिलाओं में अंधत्व का प्रसार पुरुषों की तुलना में अधिक है:
 
  • महिलाएँ: 2.31% 
  • पुरुष: 1.67%
Sightsavers India (यह Sightsavers India और PubMed के संयुक्त अध्ययन पर आधारित है।) PubMed PMC (PubMed Central)
यह चौंकाने वाला अंतर दर्शाता है कि नेत्रदान में पुरुषों का योगदान महिलाओं की तुलना में बहुत अधिक है। महिलाओं में नेत्रदान की कम दर के पीछे कई सामाजिक-सांस्कृतिक कारण हो सकते हैं, जैसे निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी कम भागीदारी, धार्मिक या पारंपरिक गलत धारणाएँ, जागरूकता का अभाव, और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच में बाधाएँ।
 
व्यापक निष्कर्ष और एक आवश्यक आवाहन:
 
भारत में अंधत्व का समग्र प्रतिशत कम हो रहा है, यह एक सकारात्मक संकेत है। लेकिन, नेत्रदान की अपर्याप्त दर और अंधत्व व नेत्रदान दोनों में मौजूद लैंगिक असमानता, एक बड़ी चुनौती पेश करती है। महिलाएँ, जो अक्सर अपने परिवार की धुरी होती हैं, अंधत्व से अधिक प्रभावित हैं और नेत्रदान में उनकी भागीदारी कम है।
 
इस असमानता को दूर करने के लिए, हमें लक्षित हस्तक्षेपों की आवश्यकता है:
 
  • महिलाओं में जागरूकता बढ़ाना: विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में महिलाओं के बीच नेत्र स्वास्थ्य और नेत्रदान के बारे में जागरूकता अभियान चलाना। 
  • स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सुलभ बनाना: महिलाओं के लिए नेत्र जाँच और उपचार सेवाओं तक पहुँच को आसान और वहनीय बनाना। 
  • सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाओं को दूर करना: नेत्रदान से जुड़ी गलत धारणाओं और रूढ़ियों को दूर करने के लिए समुदाय-आधारित कार्यक्रम आयोजित करना।
'एक दृष्टि दृष्टि के ऊपर' का अर्थ सिर्फ दूसरों को दृष्टि देना नहीं है, बल्कि यह भी है कि हम समाज के हर वर्ग, विशेषकर महिलाओं, के नेत्र स्वास्थ्य और नेत्रदान में उनकी भागीदारी पर गहरी और संवेदनशील दृष्टि डालें। नेत्रदान एक महान दान है, जो किसी के जीवन में रोशनी भर सकता है। आइए, इस विश्व नेत्रदान दिवस पर हम सब मिलकर नेत्रदान को बढ़ावा देने और दृष्टिहीनता मुक्त भारत बनाने का संकल्प लें।